संदेश

  हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला। राम मंदिर में 3 मंजिल होंगी। पहली मंजिल पर मंदिर का गर्भ गृह होगा जिसमें रामलला की मूर्ति रखी जाएगी। राम लला के साथ माता सीता होंगीं, लक्ष्मण और गणेश भगवान की भी मूर्ति रखी जाएगी। सबसे खास बात ये है कि राम नवमी के दिन उगते सूर्य की पहली किरण श्रीराम की प्रतिमा पर पड़ेगी। Ayodhya Ram Mandir: प्रस्तावित राम मंदिर के नए मॉडल अयोध्या में अब भव्य राम मंदिर दो नहीं बल्कि तीन मंजिला होगा. इसमें पांच गुंबद होंगे. मंदिर का आकार बढ़कर 84600 वर्ग फीट कर दिया गया है. प्रस्तावित राम मंदिर के नए मॉडल का स्वरूप कुछ ऐसा होगा तीन मंजिला मंदिर में होंगे  318 खंभे  तीन मंजिला मंदिर में 318 खंभे होंगे और हल तल पर 106 खंभे बनाए जाएंगे. वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा  मंदिर के नक्शे को नए सिरे से तैयार
 सर्दियों में दही खाने से बढ़ेगी इम्युनिटी:पेट का फैट होगा कम, दूर होगी मुंह की बदबू; ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में। सर्दियों में बीमार होने के डर से दही खाना छोड़ देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सिर्फ एक मिथ है कि ठंड में दही खाएंगे तो सर्दी-जुकाम हो जाएगा। बापू नेचर क्योर अस्पताल के आयुर्वेद डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ रश्मि चतुर्वेदी का कहना है कि दही में गुड बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जिसे डाइजेशन के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा दही कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम से भरपूर होता है। इसे खाने से हमारी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है और कई तरह की बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलती है। तभी तो कई जगहों पर मकर सक्रांत के दिन दही खाने की परंपरा है। सर्दियों में खाएं ताजी दही ठंड में दही खाने का सबसे सही समय लंच के बाद का होता है। आमतौर पर गर्मियों में लोग दही को फ्रिज में रखकर ठंडा करके खाते हैं, लेकिन सर्दियों में इसे फ्रिज में ना रखें और कोशिश करें कि ताजी दही ही खाएं। आप चाहें तो नास्ते के साथ इसे रायते के तौर पर भी खा सकते हैं। वहीं, अगर कफ की समस्या रहती है तो डॉक्टर की सलाह

सफेद शेर के इतिहास की कहानियां

 सफेद से सबसे पहले एमपी के रीवा जिले में पाया गया था।   सफेद शेरों का बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क की वजह से मध्य प्रदेश वर्ड में जाना जाता है।   जिस तरह का माना का शुभा होता है वही स्थिति में भी है बागों में अपने इंजी बोस शक्तियों की सहायता से समझने की बड़ी शक्ति होती है।   27 मई 1964 की ऐतिहासिक तारीख जिस दिन वस्तुआ मड़वास रेंज सीधी जिले के देवा गांव दरार में छिपे सफेद शावक बाघ को रीवा के अंतिम महाराजा मार्तंड सिंह ने पकड़ पाया उन्होंने उसका नाम मोहन रखा मोहन के आकर्षण से अभिभूत होकर महाराजा ने शिकार करना छोड़ दिया।   आदिम युग में कभी शिकार खाने के लिए किए जाते थे बाघ का शिकार राजाओं की वीरता और शौर्य से जुड़ा शौक था जो मेहमानों को दिखाने के लिए होता था मचान पर चढ़कर किस वीरता का खेल कहेंगे उनके पूर्वजों में रघुराज सिंह ने 39 वेंकट रमण सिंह ने 558 गुलाब सिंह ने 619 और स्वयं उन्होंने पचासी बाघों के शिकार किए बिंद का यह अंचल बाघ वाली जो कालांतर से भगवान कहलाया। मोहन जीवन के अंतिम दिनों तक गोविंदगढ़ रीवा महाराज के किले बाघ वाले में रहा 1969 में उसकी मृत्यु हुई शाही सम्मान के

महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा कैसे करें? और प्रसन्न कैसे करें?

महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा कैसे करें? और प्रसन्न कैसे करें?     महाशिवरात्रि के दिन दिन भर पूजा की जाती है। वही प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद रात और दिन के बीच का समय पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समय की गई पूजा से भगवान शिव बहुत जल्दी ही खुश हो जाते हैं। वहीं इसके बाद रात भर जागरण करके रात के चारों पहर में पूजा करने से शिव जी बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं।      महाशिवरात्रि की पूजा कैसे करें?      व्रत रखने वाले दिन भर शिव मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहे। रोगी अशक्त और विधि। दिन में फलाहार लेकर रात ही पूजा कर सकते हैं। शिव पुराण में रात्रि के चारों पहर में शिव पूजा का विधान है। शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके। त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष। करके पूजा का संकल्प इस प्रकार ले।     1.व्रत रखने वाले फल फूल चंदन बिल्वपत्र धतूरा धूप व दीप से रात के चारों पहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए साथ ही भोग भी लगाना चाहिए। 2. दूध, दही, घी शक्कर से अलग-अलग तथा सब को एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग

श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट।

          श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट      राम मंदिर के लिए ट्रस्ट का ऐलान हो गया है और इसे खुद स्वयं नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इसका ऐलान किया है। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है। इस टेस्ट में कुल 15 सदस्य शामिल होंगे। अब इन सदस्यों के नाम भी सामने आ गए हैं।     केंद्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया नियमों के मुताबिक टेस्ट में 10 स्थाई सदस्य हैं जन्हें वोटिंग का अधिकार होगा। बाकी के 5 सदस्यों को वोटिंग का अधिकार नहीं है। यह सदस्य दलित समुदाय से रहेगा ट्रस्ट में वकील के परासरण महान थे। जिनेंद्र दास अयोध्या राजपरिवार के देवेंद्र मोहन प्रताप रहेंगे।     1989 में राम मंदिर शिलान्यास के दौरान पहले ईट रखने वाले कामेश्वर चौपाल भी बने ट्रस्टी।     लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे सुप्रीम कोर्ट ने के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन करते हुए केंद्र सरकार ने इसका नाम

महाभारत की कहानियां

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                  भीम और घटोत्कच की कहानी       एक बार की बात है की कौरवों का मामा शकुनी बोला कि पांडवों के लिए एक लाखे का महल  बनवाओ और उसी में सभी को जला दो और कौरवों ने वैसा ही किया जैसा शकुनि ने बोला और पांडवों को निमंत्रण भिजवाया गया कि आपके लिए महल तैयार है।     पांडव लोग चल दिए रहने के लिए जाते समय कृष्ण भगवान से मुलाकात हुई तो बोले कि आप लोग कहां जा रहे हो तो पांडव लोग बोले कि हम लोग पांडवों के बनवाए हुए महल में रहने के लिए जा रहे हैं फिर के समान बोलते हैं कि आप लोग ऐसा करो कि एक Ek kandera banaa lena बाहर निकलने के लिए उसी माहौल से फिर पांडवों ने वैसा ही किया जैसा कृष्ण भगवान बोल रखे थे।      पांडव लोग रहने लगे 1 दिन की बात है उस दिन कौरवों ने महल में आग लगवा दिया।तो सारे लोग उसी कंद्रे से निकल गए और भीम सो रहे थे तो भीम निकल नहीं पाए नाही भीम को कंद्रे के बारे में पता था तो भीम ने धरती में मुक्का मारा तो धरती फट गई और वह डायरेक्ट पाताल में पहुंच गए पाताल में क्या हुआ कि एक नागकन्या रहती थी नागकन्या हमेशा देवी की पूजा करने जाती थी उसको उसी दिन 12 वर्ष पूजा करते हो गया थ

श्रीमद भगवत गीता का संदेश

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                  !!श्रीमद्भागवत गीता का संदेश समझि ये !!       गीता वह आध्यात्मिक ग्रंथ है जिसमें भारतीय अध्यात्म का निचोड़ समाया हुआ है यह अन्य ग्रंथों से एक बात में भिन्न है कि अन्य सभी के अध्यात्मिक उपदेश एवं संदेश किसी तीर्थ या एकांत शांत वातावरण में प्रस्फुटित हुए हैं लेकिन गीता का उद्गम स्थल युद्ध क्षेत्र है यही इसको विशिष्ट बनाता है जो जीवन के तनावपूर्ण क्षणों में योगेश्वर भगवान के श्री मुख से निश्चित होता हुआ शाश्वत संगीत है                                                    https://www.instagram.com              सामने खड़ा है मोह ग्रस्त आरती मोड़ अवसाद में डूबा अर्जुन जो युद्ध क्षेत्र- कर्म क्षेत्र से पलायन की मनोदशा में है और इसके पक्ष में तमाम तरह के तर्कों को तर्कों से युक्त है लेकिन श्रीकृष्ण उसके एक-एक प्रश्न कुतर्क आशंका को निर्मूल करते हुए अंततः अर्जुन को धर्म युद्ध के लिए तैयार करते हैं।     गीता की शुरुआत विषाद योग से होती है यह गीता की ही विशेषता है कि इसमें विशाल को योग की प्राथमिक शिरडी के रूप में प्रस्तुत किया गया हैदेखा जाए तो जीवन में योग की शुरुआत विषाद